शनिवार, 8 मार्च 2008

भारत में आध्यात्मिक महिला नेताओं की बैठक

भारत में आध्यात्मिक महिला नेताओं की बैठक
45 देशों से कई सौ महिला नेता भारत में एकत्र हुई हैं और यह चर्चा करेंगी कि महिलाएं विश्व में हिंसक संघर्ष को हल करने में कैसे मदद कर सकती हैं । यह सम्मेलन न्यूयॉर्क स्थित संगठन, ग्लोबल पीस इनिशियेटिव फॉर विमेन ने आयोजित किया है ।

भारत के राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर में करीब 400 महिलाओं की बैठक का उद्देश्य ऐसे तरीके तलाश करना है, जिससे महिलाओं की आवाजों और विचारों को ज्यादा जोर से सुना जा सके ताकि विश्व युद्ध से दूर हट सके । ज्यादातर प्रतिनिधि विभिन्न धर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाली धार्मिक नेता हैं । वह पूरे विश्व से आई हैं- अफ्रीका, मध्य-पूर्व, अफगानिस्तान और अमेरिका से ।

यह पांच-दिवसीय सम्मेलन सोमवार को सम्पन्न होगा ।

सम्मेलन में भाग ले रही महिलाओं ने कहा है कि महिलाओं का संकट हल करने के मुद्दे के बारे में एक बिलकुल अलग दृष्टिकोण होता है और उनसे ज्यादा सलाह-मशविरा किये जाने की जरूरत है ।

न्यूयॉर्क स्थित ग्लोबल पीस इनिशियेटिव फॉर विमेन की सदस्य डेना मरियम का कहना है कि वे चाहती हैं कि मतभेदों को दूर करने के लिए अहिंसक विकल्पों को खोजा जाए ।

सुश्री मरियम ने कहा, "स्थानीय अमेरिकी कबीलों की एक परंपरा थी । जब कोई कबीला युद्ध में जाता था तो उससे पहले उन्हें बुजुर्ग महिलाओं से आशीर्वाद लेना होता था । इसलिए कि महिलाएं अपने बेटों को युद्ध में भेज रही होती थीं और वे यह सुनिश्चित करना चाहती थीं कि ऐसा करना जरूरी है । यह कोई छोटी बात नहीं थी । मेरा मानना है कि अगर महिलाओं से सलाह ली जाए कि क्या तुम अपने बेटों को युद्ध में भेजना चाहती हो तो हम इसके बारे में बहुत अधिक और गहरा विचार करेंगी ।"

अन्य प्रतिनिधियों ने कहा कि महिलाओं में दया, सहनशीलता और सहानुभूति के गुण होते हैं, जिससे वे पुरुषों की अपेक्षा, जो सत्ता और आक्रमण से ज्यादा जुड़े होते हैं, हिंसा के विकल्प ज्यादा आसानी से खोज सकती हैं ।

पश्चिमी तट के रामल्लाह शहर की मनोवैज्ञानिक लैला एत्सान का कहना है कि अगर महिलाएं अग्रिम मोर्चे पर होतीं तो इस्राइली-फिलिस्तीनी संघर्ष से अगल तरीके से निपटा जा सकता था ।

उन्होंने कहा कि सभी मामलों में, हर संबंध में उनका पुरुषों पर अधिकार होता है, लेकिन अब दुर्भाग्य से अग्रिम सत्ता पुरुषों के हाथ में है, जिससे विश्व की नियति का फैसला होता है । इसलिए इसे कुछ उलटने की जरूरत है । अगर फिलिस्तीन में महिलाएं ज्यादा बड़ी भूमिकाएं लेतीं और कारगर ढंग से निभातीं तो हमास जैसी समस्याएं नहीं होतीं, हम इस्राइली सैनिकों के सामने अहिंसक प्रदर्शन करते और हथियारों से प्रतिक्रिया करने के बजाय इससे परिवर्तन करते ।

यहां एकत्र महिलाओं ने कहा कि उनके बीच कोई मतभेद नहीं है, हालांकि वे विभिन्न धर्मों का प्रतिनिधित्व करती हैं, क्योंकि उनका उद्देश्य एक ही है- यह सुनिश्चित करना कि उनके बच्चों के लिए विश्व ज्यादा सुरक्षित हो ।

वे मानती हैं कि ऐसा कहना आसान है, लेकिन काम बहुत मुश्किल है । उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन इसकी शुरुआत है ।

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